बैंक आपको लोन देगा या नहीं, यह काफी कुछ आपके सिबिल (CIBIL) स्कोर पर निर्भर करता है. ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इस स्कोर का कैलकुलेशन कैसे किया जाता है.

वैसे तो इसे निकालने के लिए कई तरह का जटिल गुणा-भाग किया जाता है. लेकिन, इसमें सबसे जरूरी लोन चुकाने का ट्रेंड है. इसका मतलब यह हुआ कि अगर आप लोन चुकाने में ईमानदार हैं, तो बैंक भी आपको लोन देने में दिलचस्पी दिखाएंगे.
CIBIL स्कोर कैसे कैलकुलेट किया जाता है?
चार महत्वपूर्ण बातें हैं जिनका आपके सिबिल स्कोर पर असर पड़ता है:
1. पेमेंट हिस्ट्री : देर से ईएमआई भरना या डिफॉल्ट करने का आपके सिबिल स्कोर पर प्रतिकूल असर पड़ता है.
2. क्रेडिट मिक्स: मिलेजुले सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड लोन होने का आपके क्रेडिट स्कोर पर सकारात्मक असर होता है.
3. बार-बार पूछताछ : लोन के विषय में बहुत ज्यादा पूछताछ करने का आपके स्कोर पर नकारात्मक असर पड़ता है. यह संकेत देता है कि भविष्य में आपके लोन का बोझ बढ़ सकता है.
4. हाई क्रेडिट यूटिलाइजेशन : हाई क्रेडिट यूटिलाइजेशन लिमिट समय के साथ कर्ज बढ़ने का संकेत देती है. इसका स्कोर पर अच्छा असर नहीं होता है.